डायबिटीज न हो इसलिए भी बचिये प्रदूषण से
सेहतराग टीम
डायबिटीज यानी मधुमेह का प्रदूषण से क्या लेना देना है? अभी तक तो यही माना जाता है कि आपकी जीवनशैली, आनुवंशिक कारण या फिर खानपान और शारीरिक गतिविधियों का मधुमेह से सीधा लेना देना है। इसके अलावा अन्य कारकों की ज्यादा चर्चा नहीं होती है। अब नए अध्ययनों का दावा है कि वायु प्रदूषण भी मधुमेह की वजह बन सकता है। ये खबर भारतीयों के लिए चिंताजनक हो सकती है क्योंकि हमारे शहर तो दुनिया के सबसे प्रदूषित शहरों में शुमार किए जाते हैं।
हर सात में एक नए मरीज के पीछे वायु प्रदूषण
अमेरिका में हुए एक नए अध्ययन के अनुसार 2016 में मधुमेह के हर सात नए मामलों में एक मामले के लिए वायु प्रदूषण जिम्मेदार रहा। इसमें पता चला कि वायु प्रदूषण के कम स्तर से भी इस बीमारी के पनपने की आशंका बढ़ जाती है।
वाशिंगटन यूनिवर्सिटी का अध्ययन
डायबिटीज मुख्य रूप से जीवनशैली से जुड़ी होती है। इसके कारकों में आहार और सुस्त जीवनशैली शामिल है। लेकिन सेंट लुइस में वाशिंगटन यूनिवर्सिटी ऑफ मेडिसिन के अध्ययन में कहा गया है कि प्रदूषण भी मधुमेह होने में बड़ी भूमिका निभाता है।
32 लाख नए मामले 2016 में
अध्ययन के निष्कर्ष में सामने आया कि 2016 में दुनियाभर में प्रदू्षण की वजह से डायबिटीज के 32 लाख नए मामले सामने आए। ये उस साल दुनियाभर में मधुमेह के कुल नए मामलों का करीब 14 प्रतिशत हैं यानी हर सात में एक मरीज प्रदूषण के कारण इस बीमारी की चपेट में आया।
इंसुलिन का उत्पादन रोकता है प्रदूषण
अनुसंधान के अनुसार यह बात पता चली कि प्रदूषण शरीर में इंसुलिन के उत्पादन को रोकता है इससे शरीर रक्त शर्करा को शारीरिक स्वास्थ्य के लिए जरूरी ऊर्जा में नहीं बदल पाता।
17 लाख लोगों के आंकड़ों का अध्ययन
वेटरन्स अफेयर्स क्लीनिकल ऐपिडेमियोलॉजी सेंटर के वैज्ञानिकों के साथ काम करने वाले अनुसंधानकर्ताओं ने 17 लाख अमेरिकी पूर्व सैनिकों से जुड़े आंकड़ों पर अध्ययन किया जिन्हें पहले कभी मधुमेह की शिकायत नहीं रही।
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